कोरानो : लापरवहै खतरनाक ह्वे सकद

कोरानो कू कहर से आज सरयां देश मा गदर मच्यूं च। रोज कोरोना से संक्रमित मनखियों का आंकड़ा
रोज बढ़दै जाणा छन। कोरोना का अगैने सरय्या दुनियां असहाय लगणि च। आज ळोग अपणा घराें मा रैंण खुणि मजबूर छन किलैकि ईं रंग बदल्णु कोरोना नाम क भयंकर बिमारी से बचण खूणि अबि त घौर मा रैंण हि उचित च।

या बात सै च आज कोरोना क कारण सर्या देश मा संकट पैदा ह्वै ग्यायी। या खूणि सरकार अर हम सबि ळोग बराबर का दोषी छन। किलैकि पिछळा साळ अक्टूबर-नवम्बर बटि हमन मान याळी छायी क कोरोना हमर देश मा खत्म ह्वै ग्यायी। हमन कोरोना गाडड लैन कु पाळन नि कायी। हमर या लापरवैह हि हम पर भारी पौड़ि ग्यायी। अर अब एक दिन मा साढे़ तीन लाख से जादा मनखि सर्या देश मा संक्रिमत हुंणा छन। अर म्वरण वळों का आंकड़ा रोज लगातार बढ़दा हि जाणा छन। देश मा हाळात ईंन छन कि एक तरफ कोरोना संक्रमितों मनखि थैं कुई हाथ लगणा तयार नि च त दूसर तरफ अखबार अर सोशळ मीडिया एक खबर मा एक ब्यटुळ अपणा कोरोना से पीड़ित आदमी थैं, जै थैं आक्सीजन नि मिळी, अपड़ गिच्चळ आक्सीजन देंण क कोशिश करनी च कि कनकैकि भि अपड़ों क जान बचि जावा।

पिछळ साळ बटि कोरोना वायरसळ हमथैं सोचणाा पर मजबूर कैर द्यायी कि कुदरत क नियमों थैं पिछने छोड़िक वैज्ञानिक सोच मनखियों थैं सिर्फ अर सिर्फ अपड़ा बसमा (नियंत्रण) कैरि सकद बस। प्रकृति थैं अपड़ा बसमा का करणा क मनखियों का आदत अब मनखि जाति पर ही भारी प्वड़ि ग्यायी।

हमन खेती बाड़ी सब छोड़ि याळी, विकास क नौ पर जंगळ लतागार कटणा छन। अर आज हम जिन्दगी बचाण खूंणि नकळी ऑक्सीजन भैर क देशु बटि मंंगाणा छौं। आज हमथैं चैंदू सब कुछ च, लेकिन बस नकळी अर जल्दी जल्दी।

पैळि हम थोड़ा मा हि बौत कुछ पाणा क सुख अर खुशी खवज्दा छायी, लेकिन आज बौत कुछ पाणा कि आस मा चार आदमी कंधा देंणा कु भि नि मिलणा छन।

कोरोना थैं प्राकृतिक कहर मन्णा का कारण छन किलैकि प्राकृतिक आपदा क तरौ कोरोना मा भि ळोग कुछ नि कैर सकणा छन (असहाय) छन। अमीर हो या गरीब सबि सिर्फ और सिर्फ अफ्फु थैं बचैंण खूंणि अपड़ा ही खौळ मा छुप्या छन।

कोरोना से रोज कोरोना संक्रमितों का संख्या साढ़े तीन लाख से जादा आणि च। अर म्वरण वळों का आंकड़ा देश मा रोज बढ़दा ही जाणा छन। अबत इन लग्णुं च कि कोरोना वायरस विज्ञान थैं ब्वलणु च कि बेटा अपड़ि हद मा रै। त्वै से एक कदम अगनै छौं मि।

लेकिन अबि एक-दूसर क बारा मा बात करणा कु बगत नि च। इबरि सबसे पैळि च जिमेबारी च मखियों के जान बचाणी। सरकारों क जिमेबारी च दवै अर ऑक्सीजन कमी देश कख भि न ह्वै। अर हमरि जिमेबारी च कोरोना क चैन थैं त्वड़न क। लेकिन अब सवाळ यो च कि ईं बीमारी से देश अर समाज थैं कनकैकि बच्यें जावा।

त यांकू जवाब यों च कि अबि हम कैकि मदद नि कैरि सकदा त हमथैं कै खूंणि समस्या भि पैदा नि करण चैंद। हर देशवासी थैं अपड़ि सुरक्षा का जिमेदारी अफ्फि लिंण प्वड़ळी अर अपड़ा बचाव का 100 प्रतिशत कोशिश करणी प्वड़ळी कि हमथैं जादा से जादा अपड़ा घौर मा हि रैंण प्वड़ळु। घौर बटि भैर जाणा से पैळि अपडु गुच्चु पर कपड़ा, अर एक दूरस से दूर रै कैैकि बात करण प्वड़ळि। हमथैं अभि कोरोना कफ्र्फूू पाळन करण प्वड़ळु। अबि अप्फ अर अपणाें थैं संक्रमित हूंण से बचाणा जरूरी च। अर हमथैं या बात अपणा कापल मा रखण प्वड्ळी कि जरा सी लापरवहै भि बौत खतरनाक ह्वे सकद।

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