बैकुण्ठ चतुर्दशी ‘खड़ दीया’ पूजा, ‘दीयों कु कौथिग’

पूरणा जनमा बटि हि ऐतिहासिक, सामाजिक अर सांस्कृतिक नजर से श्रीनगर गढ़वाल कु एक खास महत्व छायीं।
यीं बडु कारण छायीं कि उबरि के राजा महाराजौंन श्रीनगर तैं अपड़ि राजधानी बणें। रौंतेलु श्रीनगर एक अलग अपड़ि मंतग च। श्रीनगर द्यब्तौं क नगरी बि च। श्रीनगर म कमलेश्वर शिवालय मा भगवान विष्णु न तप कैकि सुदर्शन च्रक प्राप्त कै छायीं।
श्रीनगर म पुरण जमना बटि बैकुण्ठ चतुर्दशी त्योवार पर बौत बडु कौथिग उर्यें जान्द।
बैकुण्ठ चतुर्दशी त्योवार म श्रीनगर गढ़वाल म कमलश्वर महादेव मंदिर मा ‘खड़ दिया’ पूजा जैथैं ‘दीयों कु कौथिग’ बि ब्वलें जान्द। पुरण जमाना बटि इन्नु मन्यें जान्द की कमलेश्वर महादेव म वैकुण्ड चतुर्दशी क त्योवार पर पुत्र प्राप्ति क कामना खूंणि औति-औता (नीं संतान ़स्त्री/पुरूष) जल्यूं दिया लैकैकि सर्या राति खड़ा रन्दन अर भगवान भोले नाथ क पूजा करदन।

ऐतिहासिक महत्व –
त्रेता युग मा भगवान श्रीराम न जब रावण कु वध कायी त ऊतैं ब्रह्म हत्या कु पाप लगिग्यें। भगवान प्रायश्चित करणा खूंणि इन्नै-उन्नै डबकणा छायीं कखि ऊतैं सै जगा नीं मिलणि छायीं। यांका बाद गुरू वशिष्ट न जरिया ऊतैं कमलेश्वर महादेव क बारा मा पता चलि। भगवान श्रीराम न 108 कमला फुळु न भगवान शंकर क पूजा कायी। भगवान शंकर न भगवान राम कु इमत्यान ल्यायी अर एक कमल कु फुळ लुकै दे। भगवान राम न तब अपडु आंखु भगवान शंकर तैं अर्पित कै दे अर बोलि कि मेरी ब्वै छ्वटा बटि हि मिथैं कमल नयन बोलि कि बुलौंदि। 108 वु कमला रुप मा मेरू आंखु च। भगवान शंकर भगवान राम कु समर्पण देखिक खुस ह्वै जन्दन अर ऊतैं ब्रह्म हत्या कु पाप से मुक्ति कै दिन्दन अर ब्वदन कि यु क्षेत्र तुमरु तपन कमलेश्वर महादेव क नौं से प्रसिद्ध होलु।

बैकुण्ठ चतुर्दशी क दिन जु बि ऊं नमः शिवाय कु जाप कैकि पूजा करदू , वैकी सर्या मनोकामना पूरि होलि।

इन्न हूंदि खड़ दीयौं क पूजा
बैकुण्ठ चतुर्दशी (कार्तिक मैना क पूर्णिमा) दिन गोधूलि म मंदिर मंहत दियू जगे की पूजा सुरु करदन अर मंदिर म पूजा करण वला (नीं संतान दम्पति) तैं संकल्प अर पूजा कर्यें जान्द। खड़ दीयौं पूजा करणि बला ब्यटुळा सर्या राति खड़ु रैकि भगवान भोलेनाथ पूजा करदन अर दूसर दिन सुबेर शुभ मुर्हत पर भगवान कमलेश्वर कु अभिषेक कर्यें जान्द। सबि अपड़ा दीयौं तैं भगवान तैं साक्षी मानि कि मंहत तैं शिवार्पण करदन।

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