विधानसभा भर्ति, क्या अब कर्मचारियों तैं बचौंणा खेल सुरु त नीं ह्वै ग्यायी ?

2016 के बाद पिछनै क द्वार बटि विधानसभा मा लग्यां कर्मचारियों तैं विधानसभा बटि भैर करणा क बाद, बौत गुणगान बंट्वारणि वळि विधानसभा आज एकदा दुबरा छ्वियों मा च। पिछळ दा विधानसभा 2016 क बाद विधानसभा मा लग्यां कर्मचारियों तैं विधानसभा बटि भैर करणा बाद छ्वीं मा छायीं, त अबकदा विधानसभा मा 2016 से पैल्यक लंग्या कर्मचारियों तैं बचैंणा क आरोपु क कारण छ्वीं मा च।

अबि तक विधानसभा अध्यक्षा ऋतु खण्डुडी ब्वनी छायीं कि 2016 से पैल्यक लग्यां कर्मचारियों क बारा मा वु विधिक राय लिंणि च। अब जब विधिक राय ऐग्यें अर जब विधिय राय मा 2016 से पैल्यक लग्यां सबि कर्मचारी विधानसभा मा गलत तरौं न लग्यां छन यु बत्ये ग्यें। यांका बाद ऐ मामळु मा क्वीं कारवै नीं हूंणि च तबि सवाल खड़ा हूंणा छन कि आखिर किलै विधानसभा अध्यक्षा क्वीं कारवै नीं करणि च।

त दुसर तरफ विपक्ष विधानसभा अध्यक्ष पर लगातार हमला करणु च अर ब्वनु च कि 2016 बटि पैल्यक लग्यां कर्मचारियौं पर कारवै इल्लै नीं हूंणि च कि वु पैल्यक मुख्यमंत्री बीसी खंडूडी क पछ्याण वळा अर नजीकी छन। यु बडु़ अरोप विधानसभा अध्यक्षा पर लगणु च कि वु अपड़ा बुबा क लग्यां कर्मचारियां तैं बचौंणिच अर क्वीं कारवै नीं करणि च।

महाधिवक्ता न साफ कै दे कि विधानसभा मा सबि कर्मचारी गलत तरीकों न लग्यां छन।

पैल्यक आईएएस दिलीप कोटिया, सुरेन्द्र सिंह रावत अर अवनेन्द्र सिंह नयाल क समिति न अपड़ि रिपोर्ट मा 2016 से पैळि विधानसभा मा लग्यां कर्मचारियु कु पक्कु हूंण पर बोलि कि या तैं बि सै नीं ब्वलें जै सकदु। उन्न विधानसभा मा सबि भर्तियों थैं गलत ही नीं बतै बल्कि उन्न अपड़ि रिपोर्ट सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल क तरक्कि थैं बि गलत बतै।

उत्तराखण्ड विधानसभा मा ह्वीं भर्ति खूंणि बणि जांच समिति न 2001 बटि 2021 तक विधानसभा मा ह्वीं 396 भर्ति थैं गलत तरीकों न ह्वीं भर्ति बतै। जांच समिति क 217 पन्नों क रिपोर्ट मा यु साफ ह्वैग्यें। सबि 396 भर्ति थैं असंवैधानिक तरीकोंन लग्यां छन। जैमा साफ ब्वलें ग्यें कि विधानसभा सचिवालय मा साळ 2001 बटि 2022 तक जु बि भर्ति ह्वीं सबि भर्तियौं मा भर्ति हूंण वळों तैं एक जनि (समानता) कु मौका नी दियेग्यें, जु संविधान अनुच्छेद 14 अर अनुच्छेद 16 कु उल्लंघन च।

इन्न मा बडु़ सवाल हि यों च विधानसभा मा 2016 से पैळि नियम तोड़िक लग्यां कर्मचारियों पर कारवै कब ह्वैळी?

त दुसर तरफ महाधिवक्ता क राय क 15 दिन बाद भि 2016 से पैल्यक लग्यां कर्मचारियु पर क्वीं कारवै नीं हूंण से इन्न लगणु च कि कखि विधानसभा मा ऊतैं बचौंणा कु खेल त नीं सुरु ह्वैग्यें।

इन्न मा सवाल यों बि च कि 2016 क बाद लग्यां कर्मचारियों तैं विधानसभा बटि भैर कु बाटु अर 2016 से पैल्यक लग्यां कर्मचारियों तैं बचौंणा क खेल, विधानसभा बटि भैर निकलयां कर्मचारियों क दगड़ अन्याय त नीं च? अर भ्रष्टाचार क बात करदा-करदा, विधानसभा अध्यक्ष बि कखि भै -भतिजु कु बीच त नीं फंस्यें ग्यें।

इन्नु फुन्नै बटि फिर सवाल वीं च कि जब उत्तराखण्ड विधानसभा मा राज्य बणणा क बाद ह्वीं सबि भर्ति गलत अर नियम तोड़िक ह्वीं छन त सिरफ 2016 क बाद लग्यां कर्मचारियौं पर हि कारवै कलै, क्या वु उंक दगड़ अन्याय नी च? अर ऐ मामळु मा सब्यौं क गिच्छा बन्द किलै छन किलै? आखिर कु देळु यांकु जवाब?

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