वोटर लिस्ट में नाम न होने से मायूस हुआ मतदाता

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देहरादूनः प्रदेश की निकाय चनुाव में छोटी सरकार को चुनने के लिए प्रदेश में मतदान शान्ति पूर्ण सम्पन हो गया। इस बार के चुनाव में 84 नगर निकायों के 1148 पदों के लिए चुनाव हुआ।

चुनाव की पारर्दशिता को देखते हुऐ राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट के अनुसार मतदान केंद्रों व स्थलों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। खासकर संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों व मतदेय स्थलों पर विशेष निगरानी के निर्देश दिए गए थे।

मतदाता सुबह 8.00ं से ही अपने मत का प्रयोग करने घरों से निकल पड़े। इस बार इस चुनावों भी निकाय चुनाव को लेकर मतदाताओं में काफी उत्साह दिखाई दिया। खासकर युवाओं ने इस चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने मत का प्रयोग किया जिसमें कई युवाओं पहली बार बैलेट पेपर से वोटिंग की।

बता दें की राज्य के कई क्षेंत्रों से वोटर लिस्ट में नाम न होने की खबर लगातार आई। देहरादून में वोटर लिस्ट से कई मतदाताओं के नाम गायब थे। कई मतदाताओं का वोटर लिस्ट में नाम न होने के कारण मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। वोट न डाल पाने के कारण उन्होेंने कहा कि कई सालों से इस वोट देते आ रहे हैं, लेकिन इस बार वोटर लिस्ट से नाम गायब कर दिया है। वोटरों का आरोप है कि उनका नाम जानबूझ कर वोटर लिस्ट से गायब किया गया है।

ऐसा ही नजारा देहरादून के वार्ड नम्बर 83 मेें देखने को मिला वोटर लिस्ट में नाम नदारत होने के कारण कई मतदाताओं को बिना मत डाले वापस लौटना पड़ा। जिन्होंने राजनीतिक दलों को कोसते हुए आक्रोश प्रकट किया।

नाम न छापने की शर्त पर एक मतदाता ने बताया कि जानबूझ कर राजनीति दलों के नेताओं ने वोटर लिस्ट से नाम गायब किए व बीएलओ को दोषी करार दिया। उनका कहना था कि यह कैसा लोकतंत्र यह हमारे साथ धोखा है।

वार्ड नम्बर 83 में जहां वर्षो पुराने वोटर के नाम लिस्ट से गायब थे। केदारपुर के अधिकांश वोटर के नाम पूरे परिवार सहित लिस्ट से गायब थे। यहां ऐसा नजारा भी देखने को मिला, कि जो यहां रहते ही नहीं या फिर कभी किराये के मकान में रहते थे वोटर लिस्ट में नाम होने के कारण अपने मताधिकार का प्रयोग कर गये।

यहां यह बात भी निकलकर सामने आई किए जिन्हें लोगों के नाम वोटर लिस्ट से गायब थे वो सभी एक ही राजनैतिक दल के समर्थक थे। लोगों का आरोप था कि यह सब एक राजनैतिक षड़यत्र के तहत किसी एक प्रत्याशी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया कारनामा है।

बहरहाल यहां जांच का विषय है कि यह सब किस के इशारे पर व किस प्रत्शायी को लाभ पहुंचाने के किया गया और किस अधिकारी / कर्मचारी की लापरवाही के चलते लोगों को अपने मताधिकार से वंचित किया गया।

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