उत्तराण्ड में भी हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर बने सख्त भू कानून: उत्तराखण्ड सिविल सोसाइटी

दून। उत्तराखंड में राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवम हिमालयी सरोकारों के लिये क्रियाशील विभिन्न संगठनों के नेतृत्व द्वारा बनाये गए संगठन उत्तराखंड सिविल सोसाइटी ने भू सुधार समिति के समक्ष उत्तराखण्ड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सख्त भू कानून बनायें जाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा।

उत्तराखंड सिविल सोसाइटी ने इस महत्वपूर्ण ज्ञापन में उत्तराखंड के लिये सख्त भू कानून के पक्ष में आधार देते हुए तीन प्रमुख बिंदुओं को समिति व सरकार के समक्ष रखा है जिनमें उत्तराखंड के अधिकांश जनपदों में उद्योग शून्यता के कारण जीवनयापन के लिये केवल कृषि भूमि पर आधारित होने को बताया है।

उत्तराखंड सिविल सोसाइटी ने इस ज्ञापन मे मांग की है कि सरकार बिना समय गँवाये एक अध्यादेश लेकर आये और जो बदलाव उत्तराखंड सरकार ने सन 2018 में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवम भूमि सुधार अधिनियम 1950 की धारा 143 (क) व धारा (ख) मे भूमि खरीद की सीमा समाप्त करने के लिये किये थे उन्हें निरस्त किया जाए।

उत्तराखंड सिविल सोसाइटी ने ज्ञापन मंे मांग की है कि औद्योगिक निवेश के नाम पर बाहरी व्यक्तियों द्वारा खरीदी गई भूमि अथवा आवंटित भूमि पर तीन वर्ष के भीतर मूल योजना के तहत उद्योग नहीं लगाएं गए हैं तो उस भूमि को अधिग्रहण करके सरकार मे निहित किया जाएं।

उत्तराखंड सिविल सोसाइटी नेे मांग कि भू कानून सुधार समिति सरकार को सिफारिश करें कि उत्तराखंड सरकार भारत सरकार को यह मांग प्रस्ताव भेजे कि उत्तराखंड को भी केंद्र सरकार द्वारा जैसे कि अन्य हिमालयी राज्यों को प्रदत्त भूमि संरक्षण अधिकार दिए गए है, वह उत्तराखंड को भी प्रदत्त किये जाएं। उत्तराखंड सिविल सोसाइटी ने भू सुधार समिति को यह सिफारिश देने के लिये कहा है कि उत्तराखंड सरकार हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवम भू सुधार अधिनियम 1972 कि धारा 118 की तर्ज पर उत्तराखंड मे कृषक भूमि को गैर कृषक को बेचने पर पाबंदी व 30 बरस तक प्रदेश से बाहर के व्यक्तियों के लिये भूमि खरीद के निषेध को लागू करें।

मूल निवास पर उत्तराखंड सिविल सोसाइटी ने कहा है कि ऐतिहासिक बिंदुओं को दृष्टिगत व सामाजिक व सांस्कृतिक दृस्टि से चूंकि समूचा उत्तराखंड एक समान है अतः उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवम भूमि सुधार अधिनियम,1950 की धारा 157(ख) के तहत पूरे उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों को लाया जाएं।

ज्ञापन देनेे वालों में उत्तराखंड सिविल सोसाइटी के ‘सैनिक शिरोमणि’ मनोज ध्यानी, रविंद्र कुमार प्रधान, प्रवीण काशी, प्रभात कुमार, श्रीमती उमा गौड़ सिसोदिया मौजूद थे।

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