ह्वै सेवा क घपरौळ (हल्ला) मा पाड़

पर्यटन मंत्री महाराज बधै का पात्र छन, इल्लै न बल उन केदारनाथ धामा गर्भगृह मा लग्यां सुुनूं क जांच का आदेश देयाली बल महाराज बधै का पात्र इल्लै छन कि ऊतैं पाड़ै इस्कुळु मा पढ़ै करणा नौन्याळु त भवैष्य क परवा हूंणि । पर्यटन मंत्री महाराज ब्वना छन बल केदारनाथ क बाटों मा जगता बि इस्कुळ छन ऊतैं साउण्ड पू्रफ बण्यें जालु। उंकु ब्वन च कि ह्वै सेवा कु गंगजाट (हल्ला) न केदारधाटी क इस्कुळु मा नौन्याळु क पढ़ै मा दिक्कत हूंणि च। केदारघाटी क नौन्याळु खूंणि या खबर खुसी क ह्वै सकद कि अब ऊंकी पढ़ै मा हवै सेवा कु घपरौळ नीं ह्वोळु।

महाराज न ऐ बयान कतगै सवाल तैं जनम दे याली। अर हम पाड़ रैवासियों तैं स्वचण फर मजबूर कै याली कि विकासा नौं फर हम आज कख मा खड़ा हूयां छा? आज ह्वै सेवा क हौ-हल्ला मा टुप्प (शांत) रैंण वळा पाड़ै पछ्याण हरचणि च। आज पर्यटन क नौं फर हमन पाड़ कु क्या हाल कै याली। आज हम पाड़ा क इस्कुळु मा भवन, मास्टर, बिजली, कम्प्यूटर, शौचालय जन बन्दबस्त तैं छोड़िक इस्कुळु तैं इन्न बणाणा क बात करण प्वाड़णि च जख भैर क क्वीं हल्ला नीं सूणें दियां।

जबकि हूंण इन्न छायीं कि हमतैं सबसे पैलि केदारघाटी मा चलणि वळा ह्वै सेवा तैं झट बन्द करण चैंद छायीं पर यख उल्टु हूूंणू च यख पैंसा वला मनखियौं तैं केदारनाथ मंदिर मा लिजाणा खूंणि पांच पांच मिनट मा खळाखळ ह्वै सेवा चल्यें जाणि छन।

ह्वै सेवा क नुकसान
हमरा कन्दूड़ा तैं 60 डीबी तकाकि अवाज सूंणणा तागत च। 80 डीबी से जादा हमर कन्दूड़ खूंणि खराब हूंद। केदारघाटी मा चलणि ह्वै सेवा से 100 डीबी से जादा घपरौळ हूंद जू हमर कन्दूूड़ खंणि बौत जादा नखरि च। जादा हल्ला वलि जगा मा रैंण वला मनखियौं क सूंणणा क ताकत कम ह्वै जान्दा। जै कारण मनखि सदनि परेशान रैन्द अर वैकु बरतौं मा खिकरण्या (चिड़चिड़ा ) ह्वै जान्दा।

ह्वै सेवा क हल्ला न केदारघााटी क रैवासी हि ना बल बोण मा रैंण वला जानवर बि दिक्कत मा छन। यख बोण मा रैंण वला जानबर अपड़ि जागौं तैं छ्वड़णा छन, इतगा हि ना पर्यटन क कारण उंकी प्रजनन अर खाण-पिणा दिक्कत बि हूंणि च। ह्वै सेवा क ऐ गगंजाट न इस्कुळयां नौन्याल हि ना बल गौं वळ सबि मनखि खास कैकि बुड्या मनखि जादा दिककत मा छन।

आज केदाघाटी मा चखुला क चिंचयाट, हवा क सिस्याट, पाणि क धारौं छंछयेंडा, छ्वयां, गोरु क घांडु क खणमण-खणमण अब नीं सूणेंणि च, सूणेंणि च त बस ह्वै सेवा कु घपरौळ। आज हम केदारघाटी तैं घपरौळ घाटी बणौंण मा क्वीं कमी नीं करणा छा।

तीर्थ जातरा आसान हूंण चैंद पर पाड़ क असली पछ्याण (शांति वादियों) तैं हरचैं की त कतै ना। देवभूमि मा ळोगु आस्था च। आज हम बाबा केदारा 18 किलोमीटर उकालि जातरा ध्वड़ा-खच्चरु क आत्मा तैं दुखैं कि करणा छा। त दुसर तरफा पैंसा वळा तैं धाम मा पौंछ्णा खूंणि पांच-पांच मिनट फर-फर असमान मा उड़ि की घपरौल करणा छा। आज केदारघाटी मा कुछ ळोगुक पैंसा कमौंणा क कीमत सर्या केदारघाटी का ळोगु चुकौंणा छन। जै थैं प्रकृति ब्वलें जान्द वु विज्ञान पर्यावरण च। जै मा हवा, पाणि, भ्वां, अगास, बोण, घाम, अन्धयरु, मनखि, पाड़, गदना सबि हमरा पर्यावरण क हिस्सा छन। हम युकां दगड़ जा जादा छेड़ि करला त हम भूकंप बाढ़, जादा बरखा, जनि आपदा तैं हि बुलौंन्दन।

आज हम केदारघाटी मा इस्कुळौं तैं साउण्ड पू्रफ बात बोलिकि उल्टी गंगा बगौंणा बात करणा छा। जबकि हूंण त इन्न छायीं की हमथैं केदारघाटी क रैवासियों क समस्या क जलुड़ा (ह्वै सेवा) तैं झट कैकि बन्द करणु छायीं पर आज हम पर्यटन नौं फर हम पाड़ क पछ्याण (शांति वादियों की) तैं खतम करणा त तरफि जाणा छा? विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) कु ब्वन च कि ध्वनि प्रदूषण हमर शरैल खूंणि सबसे जादा खतरनाक हूंद। इल्लै अब हमथैं स्वचण प्वाड़ळु कि हमतैं शांत पाड़ चैंणु च की घपरौल वलु पाड़ चऐंणु च। अगर हम अबि नीं खबरदार नीं ह्वोळा त भोल हमरि आण वलि पीढ़ि हमथैं कबि माफ नीं करालि।

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