जागो सरकार अब तो जागो

UK Dinmaan

प्रदेश में 15 दिनों में दो ऐसी बड़ी घटना हो चुकी है जो सोचने पर विवश करती है कि आखिर 18 सालों में हम आज भी वहीं तो खड़े है जहां से चले थे। सवाल आज जवाब पूछ रहे है आखिर क्यों उत्तराखण्ड का जन्म हुआ? और आखिर क्या मांगा था पहाडवासियों ने? सिर्फ मूलभूत सुविधाएं स्वास्थ्य, शिक्षा व रोजगार। लेकिन अफसोस पहाड़वासियों के लिए मूलभूत सुविधाएं आज भी पहाड़ जैसी ही पहाड़ बनी हुई है।

उत्तराखंड राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के लचर हालात गाहे-बगाहे सामने आ ही जाते हैै। राजधानी से मात्र 35 किमी. दूर मसूरी में महिला को अस्पताल के बाहर ही बच्ची को जन्म देना पड़ा। कारण अस्पताल का गेट बंद था न कोई डाॅक्टर और न अस्पताल का कर्मचारी ही अस्पताल में उपलब्ध था।

वहीं 6 दिसंबर की घटना जहां चमोली जिले निवासी मोहन सिंह अपनी 32 वर्षीय पत्नी को प्रसव के लिए जिला अस्पताल गोपेश्वर लेकर पहुंचे। गोपेश्वर जिला अस्पताल के डाक्टरों ने जांच कर बताया कि बच्चे की धड़कन कमजोर है, इसलिए हायर सेंटर ले जाओ। सवाल यही है आखिर हायर सेंटर क्यों?और कैसे पहंुचा जाय, आखिर कितना समय लगेगा पहुंचने में, न एंबुलेंस और न ही कोई चिकित्सकीय सहायता? इससे भी शर्मनाक कृत्य जीएमओयू के चालक, परिचालक व बस यात्रीगणों कि किया। जिन्होंने मोहन सिंह व प्रसव पीड़ा से कहराते हुई गर्भवती पत्नी की मदद करने बजाय बस से नीचे उतार कर बीच सड़क पर बचे को जन्म देने को मजबूर किया। दोनों घटना पहाड़ की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल देने और मानवता को शर्मशार कर देने के साथ चिंतनीय और सोचनीय है कि आखिर क्यों आज मानवीय संवेदनाएं मर रही है।

इन दोनों घटनाओं ने पहाड़ को हिला कर रख दिया। सवाल यही है कि पलायन का रोना रो रही डबल इंजन सरकार क्या पहाड़ से पलायन का इससे भी बड़ा कोई अन्य कारण ढूंढ रही है? आखिर दून में बैठ कर सिर्फ ईयर लिप्ट करने की योजना कब तक? जागो सरकार अब तो जागो।

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