44 हजार करोड़ के पार हुआ राज्य पर कर्ज

प्रदेश इस वक्त सरकार ‘आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया’ की समस्या से जूझ रही है। राज्य की कुल मासिक आमदनी करीब 1400 करोड़ है, जबकि वेतन-भत्तों-मानदेय देने पर हर महीने करीब 1500 करोड़ का खर्च बैठ रहा है। राज्य पर कर्ज का बोझ 44 हजार करोड़ के पार पहुंच रहा है। और कर्ज लेना सरकार की मजबूरी बन चुका है।

प्रदेश की हालत बदहाल हर महीने वेतन-भत्ते, पेंशन और मानदेय का खर्च आमदनी से हुआ कहीं ज्यादा। राज्य सरकार के लिए सातवां वेतनमान का बोझ बढने से हर माह खर्च की पूर्ति करने में मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। जिस कारण अक्टूबर में ही तीसरी दफा कर्ज की नौबत आ गई है। राज्य सरकार 300 करोड़ रुपये बाजार से फिर उधार लेने जा रही है
यह ऋण 31 अक्टूबर तक सरकार के खाते में आ जाएगा। इससे चालू वित्तीय वर्ष में बाजार का कर्ज बढ़कर 3500 करोड़ पहुंच जाएगा। वहीं चालू वित्तीय वर्ष में राज्य पर अब कर्ज बढ़कर 44 हजार करोड़ के पार पहुंचने जा रहा है।

बढ़ता ही जा रहा प्रदेश पर कर्ज का मर्ज।
इसके बावजूद भी सरकार के लिए एरियर की अदायगी का मसला सुलझ नहीं रहा है। तीसरी दफा 300 करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है। यह कर्ज सरकारी खजाने में पहुंच जाएगा। यह नौबत पहली बार है जब सातवें महीने में सरकार को 1300 करोड़ कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। गौरतलब है सरकार चालू माह में ही दो बार 500-500 करोड़ यानी कुल 1000 करोड़ कर्ज ले चुकी है।

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