कुशळ कारीगर ‘बया’

दुनियाँ में चिड़ियों की लगभग 450 से अधिक प्रजातियां है। कुछ चिड़ियां सुन्दर तो कुछ बुद्धिमान होती है। लेकिन एक चिड़िया दुनियां में ऐसी है जिसे कुशल दर्जी या फिर विश्मकर्मा के नाम से जाना जाता है । इस चिड़िया का नाम है बया।

बया अपना घोसळा बहुत ही खूबसूरत बनाती है। इसे बनाने में वह तिनके, पेड़ के सूखे पत्ते और तरह -तरह की जंगळी घास का उपयोग करती है।

कुशल दर्जी / विश्मकर्मा के नाम से प्रसिद्ध इस पक्षी के घोंसला बनाने की कहानी भी काफी रोचक है। इस पक्षी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे अपने आशियाना को सिर्फ एक बार ही उपयोग करते हैं।

बरसात की शुरूआत होते ही बया का प्रणयकाल शुरू हो जाता है। इसी दौरान शुरू होता है आशियाना बनाने का सिलसिला। घोंसला बनाने की जिम्मेदारी नर पक्षी की होती है। आधा घोसले तैयार होने पर मादा पक्षी उसका निरीक्षण करती है और पसंद न आने पर घोसले में रहने से इंकार कर देती है। यही कारण है कि बया के अनेक घोसले खाली लटके देखे जा सकते हैं।

जिस स्थान पर ज्वार, गन्ने की फसल ज्यादा होती है, उसी के आसपास के पेड़ों पर बया अपना घोसला तैयार करती है। इस पक्षी एक खासियत यह भी है कि जिस पेड़ पर वह एक बार घोसला बनाती हैं, उसी पेड़ पर आगे भी घोसला बनाती है। साथ ही बया हर सीजन में एक नया घोसला बनाकर ही रहना पसंद करती है। बया अपने घोसले में चमकने वाली मिट्टी का इस्तेमाल भी करती है, जिससे घोसले के अंदर अंडे देने में आसानी रहे।

इस घोसला इतना मजबूज होता है कि हवा के तेज झोंके, तेज बारिश, ओले आदि का इन पर एकाएक असर नहीं होता। यह घोसळा 1 से दो साळ तक खराब नहीं होता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *