अष्टम दुर्गा : माँ महागौरी

अष्टम दुर्गा : माँ महागौरी श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥ माँ दुर्गा का अष्टम रूप

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सप्तम दुर्गा : मां कालरात्रि

मां कालरात्रि एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥ श्री दुर्गा का सप्तम रूप श्री

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षष्ठम दुर्गा: श्री कात्यायनी

दुर्गाका षष्ठम् रूप श्री कात्यायनी। “चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी।।” श्री दुर्गाका षष्ठम् रूप श्री कात्यायनी। महर्षि कात्यायन

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पंचम स्वरूप स्कंदमाता

“सिंहासनगता नित्यं पद्याञ्चितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥“ श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता हैं। नवरात्रि के पंचम दिन

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चतुर्थ स्वरूप : माँ कुष्मांडा

“सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधानाहस्तपद्याभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु में।। दुर्गा का चतुर्थ रूप श्री कूष्मांडा। नवरात्रि के चतुर्थ दिन इनकी पूजा और

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तृतीय स्वरूप : माँ चंद्रघंटा

“पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैयुता। प्रसादं तनुते मद्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।” श्री दुर्गा का तृतीय रूप श्री चंद्रघंटा है। इनके मस्तक पर घंटे के

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द्वितीय नवदुर्गा : माता ब्रह्मचारिणी

“दधना कर पद्याभ्यांक्षमाला कमण्डलम। देवी प्रसीदमयी ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ श्री दुर्गा का द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारिणी हैं। यहां ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तपश्चारिणी

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श्रद्धा से करें श्राद्ध

पौराणिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्माएं धरती के सन्निकट होती हैं। ज्योतिषियों के अनुसार इस समय चंद्रमा,

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