मां दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि

“एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।। वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।” या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै

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मां दुर्गा का पंचम स्वरूप स्कंदमाता

UK Dinmaan या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान

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मां दुर्गा का चतुर्थ स्वरूप कूष्माण्डा

UK Dinmaan या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।’ अर्थ : हे माँ! सर्वत्र, विराजमान

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मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा

UK Dinmaan या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान

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‘शैलपुत्री’ मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप

UK Dinmaan प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

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